आज से कुड़मी समाज ने अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका-डहर छेका’ अभियान शुरू किया है। लंबे समय से चली आ रही अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जा की मांगों और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांगों ने इस आंदोलन को तेज कर दिया है। रेलवे स्टेशनों पर भारी पुलिस और प्रशासन की तैनाती के बीच आम लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन यह लाखों यात्रियों को परेशान कर सकता है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने आंदोलन को अवैध घोषित करते हुए कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए हैं। Read More Click Here
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कुड़मी समाज, जो वर्तमान में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल है ?
लंबे समय से कुड़मी समाज, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आता है, खुद को आदिवासी मानते हुए एसटी दर्जा की मांग कर रहा है। समाज के नेताओं का दावा है कि वे 1931 की जनगणना में एसटी सूची में थे, लेकिन उनका नाम 1950 में नई सूची से हटा दिया गया था। इसके अलावा, कुड़माली भाषा को मान्यता देने की आवश्यकता बहुत अधिक है। तीसरी बार हो रहा है— 2022 और 2023 में भी इसी दिन शुरू हुआ था।
अजीत प्रसाद महतो, आदिवासी कुड़मी समाज मंच के मुख्य संरक्षक, ने कहा, “यह ऐतिहासिक संघर्ष है। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात कहेंगे, लेकिन केंद्र सरकार को लिखित आश्वासन ही देना होगा। इस आंदोलन की रूपरेखा बनाने में समाज ने जंतर-मंतर पर पिछली धरना भी की थी।
रेलवे सूत्रों के अनुसार ?
झारखंड के मुरी, गोमो, नीमडीह, घाघरा; पश्चिम बंगाल के खेमाशुली, कुस्तौर, पुरुलिया; और ओडिशा के रायरंगपुर, बारीपदा रेलवे स्टेशन आंदोलन का केंद्र हैं। रेलवे ने बताया कि चक्रधरपुर मंडल में 40 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हो सकती हैं, जबकि कुल 100 से अधिक ट्रेनों का संचालन बाधित होने की आशंका है। धनबाद से गुजरने वाली हावड़ा-सियालदह राजधानी ट्रेन भी रद्द या बदल सकती है।
रांची रेलवे ने पहले ही कई ट्रेनों को रद्द कर दिया है, जिससे यात्रियों को दूसरा रास्ता ढूंढना होगा। आंदोलन से पहले ही गोमो और महुदा स्टेशनों पर निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जहां पांच या अधिक लोगों का जमावड़ा प्रतिबंधित है।
आंदोलन की सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन और राज्य सरकार अलर्ट मोड पर आ गए हैं।
रेलवे प्रशासन और राज्य सरकार आंदोलन की सूचना मिलते ही अलर्ट मोड पर आ गए हैं। झारखंड के रांची, धनबाद, सरायकेला-खरसावां और अन्य जिलों में 100 से अधिक आरपीएफ जवानों की तैनाती की गई है। रांची डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि कानून-व्यवस्था सबसे पहले होगी और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुरुलिया जिले में प्रस्तावित रेल-रोड रोको को ‘अवैध और असंवैधानिक’ करार देते हुए राज्य सरकार को कहा कि चिकित्सा, आपातकालीन सेवाओं और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बाधित नहीं करना चाहिए। अदालत ने निर्णय दिया कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों को हनन नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही, समाज ने लिखित रूप से वादा किया है कि आंदोलन शांतिपूर्ण होगा और प्रशासन से सहयोग किया जाएगा।
धनबाद में अनुमंडल दंडाधिकारी ने भा.ना.सु.सं. की धारा 163 के अनुसार धरना, रैली और ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग प्रतिबंधित है।
कुड़मी समाज के सम्मान की लड़ाई में ?
आंदोलन को आजसू पार्टी ने स्पष्ट रूप से समर्थन दिया है। पार्टी प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि वे कुड़मी समाज के सम्मान की लड़ाई में एकजुट हैं। इस मांग का, हालांकि, आदिवासी संगठनों ने कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि कुड़मी समाज को एसटी दर्जा से वंचित नहीं रखा जा सकता, जो असली आदिवासी अधिकार है। इससे राज्य में सामाजिक हिंसा बढ़ सकती है।
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